भांडाशाह जैन मंदिर, बीकानेर राजस्थान
डॉ० प्रदीप शर्मा (बीकानेर) राजस्थान
बीकानेर शहर की कई खास बातें हैं। उनमें से एक यहां का प्रसिद्ध मंदिर भांडाशाहजी का मंदिर है। यह मंदिर बीकानेर के सबसे पुराने मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास स्थित है बीकानेर के बड़ा बाजार में भांडाशाह नाम के व्यापारी ने सन 1468 में यह जैन मंदिर बनवाना शुरू करवाया और इसे सन 1541 में उनकी पुत्री ने पूरा करवाया था। मंदिर का निर्माण भांडाशाह ओसवालों द्वारा करवाने के कारण इसका नाम भांडाशाह पड़ गया। यह मंदिर धरा तल से 108 फीट ऊंचा है, और यह जैन धर्म के पांच वे तीर्थंकर 15 वीं सदी के सुमतिनाथ को समर्पित मंदिर है। मंदिर के निर्माण में मोर्टार (मकान बनाने का मसाला सीमेंट, रेत और पानी का मिश्रण जिससे ईंटों और पत्थरों को जोड़ा और जमाया जाता है) के साथ 40000 किलोग्राम शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल किया गया था।
भांडाशाह ओसवाल जी घी के व्यापारी थे। आज भी तेज गर्मी के दिनों में इस जैन मंदिर की दीवार और फर्श से घी का रिसाव होता है। इस मंदिर के शिल्पी कार GODDA थे। इस मंदिर के निर्माण में लाल बालू पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।
यह जैन मंदिर तीन मंजिलों में बना हुआ है। यह मंदिर अपने भित्ति चित्रों और मूर्तियों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसमें मटेरा और उस्ता कला का शानदार काम किया गया है। मंदिर के फर्श,चीते-खंबे और दीवारें, मूर्तियों और चित्रकारी से सुसज्जित है। स्थानीय कलाकारों द्वारा की गई चित्रकारी और स्थापत्य कला की मूर्तियां आकर्षित करती है। मंदिर में बने भित्ति चित्रों में सोने के लगभग 700 वर्ग में लगाये गये है।
अपनी स्थापना के समय इस मंदिर को सात मंजिला का बनाया जाना प्रस्तावित था। लेकिन कहा जाता है कि मंदिर के निर्माण के पूरा होने से पहले ही भांडाशाह सेठ जी का निधन हो गया बाद में 7 मंजिलों की बजाय 3 मंजिल का मंदिर निर्माण करवा कर इसकी प्रतिष्ठा करवाई गई मंदिर के सबसे ऊंचे गुंबद में 16 चित्र तीर्थंकरों के और जीवन चरित्र की कहानियां दर्शाते हैं।

मंदिर अब एक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है। मंदिर के 500 वर्ष पूर्ण होने पर डाक विभाग के द्वारा विशेष आवरण एवं विरूपण जारी किया गया था। मंदिर दिन में खुला रहता है। मंदिर की स्थापना से अब तक पूजा-अर्चना जारी है।