एक फरियाद ईश्वर के नाम........
कलम से – अहमद सलीम त्यागी …….
भटकता मुसाफिर हूं सही डगर चाहिए,
ऐ मेरे खुदा मुझको तेरी नजर चाहिए ।
लाख रोके जमाना मेरी मंजिलों से मुझको,
गर साथ तू है तो कौन हमसफर चाहिए,
ए मेरे खुदा मुझको तेरी नजर चाहिए ।
बहुत बातें बनाने से भला क्या होगा,
अल्फाज कम हो मगर बात में असर चाहिए,
ए मेरे खुदा मुझको तेरी नजर चाहिए ।
वो पास आए या ना आए उसकी मर्जी है मगर,
वो खैरियत से हैं बस ये खबर चाहिए,
भटकता मुसाफिर हूं सही डगर चाहिए ।
ये दिल बेचैन हैं उसे पाने को मगर,
ऐसी ही बेचैनी उधर चाहिए,
ए मेरे खुदा मुझको तेरी नजर चाहिए ।