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THE HOLY TOUR & TRAVEL OF TEMPLES IN INDIA

JEEN MATAJI SIKAR

Posted on June 25, 2021June 27, 2021 By Pradeep Sharma

आदिशक्ति माँ  भंवरा वाली जीणमाता (कथा वृतांत निज मंदिर के पुजारी,  पाराशर  परिवार के द्वारा) श्री श्याम सुन्दर परासर,  

भारतवर्ष में समस्त देवी- देवताओं की पावन धरा राजस्थान के सीकर जिला में गोरियां गांव के दक्षिण में ऊंचे पहाड़ो पर आदिशक्ति माँ  भंवरा वाली जीणमाता का एक सिद्ध धाम है| आदिकाल की माता जयंती ही कलयुग में जीणमाता के नाम से घर घर पूजी जा रही है ।  जीणमाता का प्रशिद्ध धाम जयपुर- सीकर रोड पर सीकर से 14 की मी की दुरी पर गोरिया नामक जगह से 15 की.मी अंदर पहाड़ी पर स्थित है । यह स्थान ऋषियों की तपस्थली है । यहाँ पर  प्राचीन काल के मठ (धूणा) है यहाँ कपिल ऋषि ने भी तपस्या की थी । यहां पर उनका धूणा भी है । उनके नाम से यहां एक झरना भी गिरता है । जिसे कपिल धार कहते है । यहां पर पूरी साधुओं का मठ भी है और यहाँ बहुत सी जीवित समाधियां है । श्री जीण-धाम आदिशक्ती महामाया जयंती माता का सिद्ध पीठ है । इस मंदिर की प्राचीनता का यहां के शिलालेखो से अंदाजा लगाया जा सकता है । प्रथम शिलालेख विक्रमी सम्वत 985 भादव बदी अष्टमी का मंदिर शिखर के जीणोद्धार कराने का है कि मंदिर हजारो वर्ष पुराना है अन्य शिलालेख सम्वत 1132, 1196 , 1230 , 1382 , 1520 , 1535 आदि के है । इन सभी बातों से यही प्रमाणित होता है कि यह स्थान आदिकाल  से मातेश्वरी का सिद्वपीठ  रहा है । आज से लगभग 1200 वर्ष पूर्व लोहागल के राजा गंगो जी चौहान व उनकी पत्नी रातादे ( उवर्शी ) नाम की अप्सरा की कन्या जीण बाई ने इस स्थान पर माँ भगवती आदिशक्ती की काजल शिखर पर बैठकर घोर तपस्या की थी । तब आदिशक्ती ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें यह वर दिया था कि ” आज से इस स्थान पर मेरी पूजा तुम्हारे नाम से होगी और यह वरदान दिया की जो भी मनुष्य इस स्थान पर आकर सच्चे मन से प्रार्थना करेगा उसे मनवाँछित फल मिलेगा । तब से आदिशक्ती जयंती माता आदिशक्ती माँ जीण भवानी कहि जाने लगी । भगतो के लिए यह स्थान कल्प व्रक्ष के समान है यहां पर अनगिनत चमत्कार देखे व महसूस किए जाते है यहां भगतो द्वारा की गई प्राथना माँ पूर्ण कर उनका कल्याण करती है । यहाँ पर भगति मुक्ति सन्तान धन ज्ञान सब कुछ मिलता है । यहां पर विश्वास है कि महामाया आदि शक्ति माँ जीण  भवानी यहां पर साक्षात रूप में विराजमान है ।

इस पावन धरा में सिथत दो पहाड़ो के बीच मे माँ जीण भवानी का मंदिर बना हुआ है यहाँ पर दूर दूर से यात्री माँ के धोख लगाने आते है और यहाँ पर 36 कॉम धूकती अर्थात पूजा करती है यहां  पर जात जडूले मुस्लिम के भी होते है । ओर इस मंदिर में कौरव ओर पांडव ने भी सेवा की है ये वो ही मंदिर है जो मुगल काल के राजा ओरंगजेब को यही पर्चा मिला था उसने सभी हिन्दू मंदिर को तोड़ कर ये मंदिर भी तोड़ने के लिए आया था फिर माँ ने उसे यही पर्चा दिखाया था उसने अपनी सेना को आक्रमण के लिए कहा और तभि भवरों वाली माता ने अपने भवरे छोड़े फिर सेना को छीन विछिन्न कर दिया फिर औरगजेब ने नाक रगड़ कर क्षमा याचना की फिर उसने अखंड दीपक तेल और घी का जलाया था । और आज भी वो ज्योत प्रज्वलित है । उसने नगारे ओर भी चढ़ाए ओर आज भी उनके वंशज माँ के चरणों मे जात जुडले करने के लिए आते है । इस धरा पर 1 मुख्य जीणमाता मंदिर 2 भवरा वाली मंदिर 3 काजल शिखर 4 प्राचीन मठ ( धूणा ) 5 प्रचीन  शिवालये का मंदिर 6 प्रचीन कुंड 7 पहाड़ो के बीच झरनों को बहना 8 जीवित समाधि 9 पाराशर वंसज पुजारी माला  बाबा का स्थान जो कि पहाड़ी पर सिथत है 10 बटुकभैरव मंदिर इस धरा पर स्थित है ।

मंदिर की पूजा अर्चना ओर देख भाल निज मंदिर के पुजारी,  पाराशर  परिवार ही करते है और इस मंदिर में   सूर्येग्रहण  एवं चन्द्रग्रहण  में भी मंदिर खुला रहता है ओर मंदिर के मुख्य पुजारी माँ की सेवा में 3  ही पूजारी 24 घण्टे ब्रमचारी रुप में रहकर माँ की सेवा पूजा करते है । और विश्व मे एक ऐसा मन्दिर है जहाँ प्रशाद में मीठा चावल का प्रशाद दोनों टाइम लगता है । और 1 साल में 2 नवरात्रे के मेले भरे जाता है और मंदिर खुलने का समय सर्दियों में सुबह 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक ओर गर्मियों में सुबह 4 बजे से 10 बजे तक, मंदिर के मुख्य द्वार 24 घंटे खुले रहते है ।

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