सांडण काली माताजी मंदिर ग्राम-सांडण चुरू (राज)
सालासर से लगभग 20 किलोमीटर दूर सालासर रतनगढ़ रोड पे खारी खुड़ी गांव से अंदर 3 किलोमीटर दूर (सांडन) गांव में मां (सांडन) काली माता का मंदिर है. मंदिर की वास्तुकला एवं कलात्मक खंबे यह साफ बताते हैं कि यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना या उससे भी पुराना है. यह मां काली का मंदिर है और कहा जाता है कि यह महाभारत कालीन मंदिर है हजारों वर्ष पूर्व यहां भी काफी आक्रमण हुए थे मंदिर को भी काफी नुकसान पहुंचाया गया था. मंदिर की पहाड़ियों पर काफी बड़े-बड़े पत्थर भी है जिन्हें देखकर लगता है कि यह सजाए गए हैं लेकिन वह सारे पत्थर नेचुरल है. अब हम बात करते हैं काफी सालों पूर्व पांडवों ने यहां अपना अज्ञातवास काटा था। बताया जाता है कि भगवान भीम यहां पत्थरों से खेला करते थे। यहां मां काली की दो विशाल मूर्तियां विराजमान है यहां की प्राकृतिक छटा देखते ही बनता है चारों तरफ जैसी पहाड़ियां है लाखों भक्तों का आना जाना जात (जडुले) करना यहां पर पत्थरों की बड़ी-बड़ी चट्टानें ऐसे पड़ी है जैसे मानो कि यहां किसी ने उनको सजाया गया हो इतना सुंदर मां काली का यहां दरबार है।कहा जाता है कि यहां पर चोर गुफा चोरों के रुकने की जगह पत्थरों के बीच गुफाओं में बनाई हुई है जहां पर काफी प्राचीन चोर रुका करते थे। यहां पर काफी भक्तों की संख्या में लोग चोर गुफा के दर्शन के लिए भी आते हैं 2 बड़े पत्थरों के बीच एक एक रास्ता जाता है जो कि चोर गुफा के दर्शन करवाता है यह एक बहुत ही खूबसूरत भ्रमणीय स्थल है भक्तों के लिए ठहरने के लिए यहां उत्तम व्यवस्थाएं हैं. मंदिर का जीणओ द्वार निर्माण हुआ है वह भी बहुत देखने योग्य है काफी हस्तकला मुरतिया बनाई गई है मंदिर के दो प्रवेश द्वार बनाए गए हैं जहां से सीडियो के द्वारा भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मां सांडन हमारी कुलदेवी माता भी है।

