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माँ का कर्ज तो नही उतार सकते मगर उसे हर पल याद तो कर सकते हैं।

Posted on May 19, 2021May 28, 2021 By Pradeep Sharma
माँ । कविता।  Every Day is Mother’s Day. 

डॉ राजेश गौड़ , शोभासरिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूसंस , सीकर (राज)

वो जिसकी घर में घुसते ही
जरा सी चोट लगते ही
हमें सबसे पहले याद आती है

वो जो एक अलमस्त आजाद लड़के को
बान्ध कर रिश्तों की डोर में
पहले घर का मालिक
और फिर हमारा पिता बनाती है

वो जिसके हाथ लगते ही बोल उठती है दीवारें
चमक जाता है फर्श
और बाकी सब चीजे भी जैसे घरेलू बन जाती है

हमारे भूले बिसरे बचपन के किस्से याद रहते हैं जिसे
जो कभी हमे और कभी हमारे बच्चों को
चटखारे लेकर खूब सुनाती है
कभी दादी, कभी नानी तो कभी उनकी दोस्त बन जाती है

गीले में खुद सोकर
हमारे हिस्से परेशानी खुद ढोकर
हमारे दाग धोकर
हमारे तन को, हमारे मन को और हमारे घर को जो स्वच्छ बनाती है

जिसे पहला गुरु कहते हैं सभी
जिसके पैरों में दुनिया जन्नत बताती है
जो हमारी मुस्कान से ही हो जाती है खुश
हमारे पसंद का खाना जो दिन-रात बनाती है
हमें पीटकर ख़ुद आंसू बहाती है जो हरदम
मगर उसी की गोद में हमें सुकूं भरी नींद आती है

मोबाइल के जमाने में हर रिश्ता दूर हो चुका हो भले
वो मां ही है जो हमें पहले खुद से
और फिर दुनिया के सब रिश्तो से मिलाती है
साल का सिर्फ एक दिन मदर्स डे नहीं हो सकता हमारे और उसके लिए
वो मां ही है जो हमारे हर दिन, हर साल को जिन्दा बनाती है।

✍✍ राजेश गौड़

कुशलता और अभिप्रेरणा Tags:#माँ का कर्ज तो नही उतार सकते मगर उसे हर पल याद तो कर सकते हैं। -

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