Skip to content
  • Home
  • About
  • Privacy Policy
  • Fast and Festivals
  • Temples
  • Astrology
  • Panchang
  • Education
  • Business
  • Sahitya Sangrah
  • Daily Posts
www.121holyindia.in

www.121holyindia.in

THE HOLY TOUR & TRAVEL OF TEMPLES IN INDIA

Tag: AKSHAY TRITIYA – WWW.121HOLYINDIA.IN AKSHAY TRITIYA

AKSHAY TRITIYA

Posted on May 18, 2021May 28, 2021 By Pradeep Sharma
(अक्षय तृतीया एवं भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव की शुभकामनाये )
 
 

अक्षय तृतीया के रूप में प्रख्यात वैशाख शुक्ल तीज को स्वयं सिद्ध मुहूर्तो में से एक माना जाता है| पौराणिक मान्यता है, कि इस तिथि में आरंभ किए गए कार्यों को कम से कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता मिलती है| अक्षय तृतीया में 42 घटी और 21 पल होते हैं| सोना खरीदने के लिए यह श्रेष्ठ काल माना गया है| अध्ययन आरंभ करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ दिन है| अक्षय तृतीया- कुंभ स्नान व दान पुण्य के साथ पितरों की आत्मा की शांति के लिए आराधना का दिन भी माना गया है|

शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है| अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार एवं उद्योग धंधों का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है| अक्षय तृतीया पर सूर्य तथा चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं तथा आखा तीज तिथि का उन लोगों के लिए विशेष महत्व होता है जिनके विवाह के लिए ग्रह नक्षत्र मेल नहीं खाते इस शुभ तिथि पर सबसे ज्यादा विवाह संपन्न होते हैं| मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री परशुराम का जन्म हुआ था, इसलिए सभी इसे परशुराम जयंती के रूप में मनाते हैं वही हिंदू शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया पर्व के दिन स्नान होम, जप, दान, आदि का अनंत फल मिलता है| इसलिए हिंदू संस्कृति में इसका विशेष महत्व हो जाता है| अक्षय तृतीया के पावन पर्व को कई नामों से जाना जाता है इसे आखा तीज वैशाख तीज भी कहा जाता है भारतीय शास्त्रों में चार अत्यंत शुभ सिद्ध मंगल मुहूर्त माने गए हैं 1. गुड़ी पड़वा 2. अक्षय तृतीया 3. दशहरा 4. धनतेरस वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया या आखातीज कहते हैं| अक्षय का शाब्दिक अर्थ होता है जिसका कभी नाश या क्षय नहीं होता अर्थात जो स्थाई रहता है स्थाई वही रह सकता है जो सदा शाश्वत है इस पृथ्वी पर केवल और केवल सत्य, परमात्मा है जो अक्षय अखंड और सर्वव्यापक हैं यानी अक्षय तृतीया तिथि ईश्वर की तिथि है| इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था इसलिए इनकी जयंतिया भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है| परशुराम जी की गिनती 4 चिरंजीवी विभूतियों में की जाती है इसी वजह से यह तिथि चिरंजीवी की भी कहलाती है चार युग 1.सतयुग 2.त्रेता युग 3.द्वापर युग और 4.कलियुग में से त्रेता युग का आरंभ इसी अक्षय तृतीया से हुआ है| अंकों में विषम अंको को विशेष रूप से तीन को अविभाज्य यानी अक्षय माना जाता है| तिथियों में शुक्ल पक्ष की तीज यानी तृतीया को विशेष महत्व दिया जाता है| वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समस्त अतिथियों से सबसे विशेष स्थान प्राप्त है

 

धर्म कथा, हिन्दू व्रत एवं त्यौहार

Copyright © 2023 www.121holyindia.in.

Powered by PressBook WordPress theme