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THE HOLY TOUR & TRAVEL OF TEMPLES IN INDIA

Tag: #idana mataji

Patients suffering from paralysis come to the EedanaTemple of the Maa and become healthy.

Posted on August 6, 2021August 8, 2021 By Pradeep Sharma

लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर स्वस्थ हो जाते हैं।

Patients suffering from paralysis come to the EedanaTemple of the Maa and become healthy. ईडाणा माता मंदिर राजस्थान में स्थित है जिसकी ख्याति और प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारतवर्ष में है । यहां पर मां के चमत्कारिक दरबार की महिमा बहुत ही अजब गजब और निराली है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। वैसे तो आप सभी ने ने बहुत सारे चमत्कारिक स्थलों के बारें में सुना होगा, लेकिन इसकी दास्तां बिल्कुल ही अलग और चौंकाने वाली है। ईडाणा माता मंदिर उदयपुर शहर से 60 कि.मी. दूर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। ईडाणा माता मंदिर में माँ का यह दरबार बिल्कुल खुले एक चौक में स्थित है। आपको बता दें कि उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से इस मंदिर का नाम ईडाणा प्रसिद्ध हुआ।

इस मंदिर में भक्तों की खास आस्था है, क्योंकि यहां मान्यता है कि लकवा से ग्रसित रोगी यहां मां के दरबार में आकर ठीक हो जाते हैं। इस मंदिर की हैरान करने वाली बात है ये है कि यहां स्थित देवी मां की प्रतिमा से हर महीने में दो से तीन बार अग्नि प्रजवल्लित होती है। इस अग्नि स्नान से मां की सम्पूर्ण चढ़ाई गयी चुनरियां, धागे भस्म हो जाते हैं और इसे देखने के लिए मां के दरबार में भक्तों का मेला लगा रहता है। लेकिन अगर बात करें इस अग्नि की तो आज तक कोई भी इस बात का पता नहीं लगा पाया कि ये अग्नि कैसे जलती है।  

ईडाणा माता मंदिर में अग्नि स्नान का पता लगते ही आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। मंदिर के पुजारी के अनुसार ईडाणा माता पर अधिक भार होने पर माता स्वयं ज्वालादेवी का रूप धारण कर लेती हैं। ये अग्नि धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती है और इसकी लपटें 10 से 20 फीट तक पहुंच जाती है। लेकिन इस अग्नि के पीछे खास बात ये भी है कि आज तक श्रृंगार के अलावा किसी अन्य चीज को कोई आंच तक नहीं आती। भक्त इसे देवी का अग्नि स्नान कहते हैं और इसी अग्नि स्नान के कारण यहां मां का मंदिर नहीं बन पाया। ऐसा मान्यता है कि जो भी भक्त इस अग्नि के दर्शन करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। यहां भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर त्रिशूल चढ़ाने आते है और साथ ही जिन लोगों के संतान नहीं होती वो दम्पत्ति यहां झुला चढ़ाने आते हैं। खासकर इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास है कि लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर स्वस्थ हो जाते हैं।

 

मंदिर

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