प्रिय पाठकों आप सभी का www.121holyindia.in पर स्वागत है | आपको दिन-प्रतिदिन हम भारतवर्ष के तमाम अलग-अलग क्षेत्रों में सनातन धर्म संस्कृति से जुड़े हुए विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों की मानस यात्रा करवाते हैं |
हमारे लिए गौरव का विषय है कि आज हम आप सभी को www.121holyindia.in के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के अंश-अवतार कलयुग के भगवान श्री बाबा रामदेव जी के मानस दर्शन की यात्रा करवाएंगे |
भगवान श्री बाबा रामदेवजी की श्रद्धा का विषय हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों से जुड़ा हुआ है |
भगवान् श्री बाबा रामदेव जी के समाधि स्थल का वर्णन
जन-जन का आस्था का केन्द्र रामदेवरा राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले में पोकरण नामक ग्राम से लगभग 21 कि.मी. उत्तर दिशा में स्थित है। जहां बाबा रामदेव का तीर्थ स्थान है उस गांव को रुणिचा गांव कहते हैं|रुणिचा धाम जोधपुर पोकरण रेल मार्ग के माध्यम से वह बीकानेर से रेल मार्ग के माध्यम से वह सड़क मार्ग के माध्यम से पहुंचा जा सकता है | यह धाम जोधपुर-पोकरण रेलमार्ग एवं बीकानेर-रामदेवरा मोटर मार्ग से जुड़ा हुआ है । इस रुणिचा गांव की स्थापना भगवान श्री बाबा रामदेव के द्वारा ही की गई है क्योंकि रुणिचा गांव में भगवान श्री रामदेव का धाम है अतः इस गांव को रामदेवरा के नाम से भी जाना जाता है अमूमन तौर पर रामदेवरा ही कहा जाता है और रामदेवरा तीर्थ के नाम से यह गांव प्रसिद्ध है|
उनकी पावन-स्मृति में प्रतिवर्ष दो बार – शुक्ला 10 तथा माघ शुक्ला 10 को मेला लगता है । इस मेले में राजस्थान, गुजरात, पंजाब, मध्यप्रदेश इत्यादि प्रांतों के सहस्त्रों नर-नारी भाग लेते हैं तथा बाबा रामदेवजी के दर्शन, रामसरोवर मर मज्जन, बावड़ी के जल का आचमन एवं नगर प्रदक्षिणा करके अपने आप को कृतकृत्य समझते हैं । तेरहताली नृत्य मेले का प्रमुख आकर्षण है । इसे कामड़िया लोग प्रस्तुत करते हैं ।
श्री रामदेव जी का जन्म संवत् 1409 में भाद्र मास की दूज को राजा अजमल जी के घर हुआ । संवत् 1426 में अमर कोट के ठाकुर दल जी सोढ़ की पुत्री नैतलदे के साथ श्री रामदेव जी का विवाह हुआ । संवत् 1425 में रामदेव जी महाराज ने पोकरण से 12 कि०मी० उत्तर दिशा में एक गांव की स्थापना की जिसका नाम रूणिचा रखा । भगवान रामदेव जी अतिथियों की सेवा में ही अपना धर्म समझते थे । अंधे, लूले-लंगड़े, कोढ़ी व दुखियों को हमेशा हृदय से लगाकर रखते थे । वर्तमान में रूणिचा को रामदेवरा के नाम से पुकारा जाता है ।
रामदेव जी के वर्तमान मंदिर के निर्माण के विषय मे-
रामदेवरा में स्थित रामदेवजी के वर्तमान मंदिर का निर्माण सन् 1939 में बीकानेर के महाराजा श्री गंगासिंह जी ने करवाया था । देश में ऐसे अनूठे मंदिर कम ही हैं जो हिन्दू मुसलमान दोनों की आस्था के केन्द्र बिन्दु हैं । बाबा रामदेव का मंदिर इस दृष्टि से भी अनुपम है कि वहां बाबा रामदेव की मूर्ति भी है और मजार भी । बाबा के पवित्र राम सरोवर में स्नान से अनेक चर्मरोगों से मुक्ति मिलती है ।
जैसलमेर जिले में स्थित बाबारामदेव का (रुणीचा) नामक स्थान जन-जन की आस्था का केन्द्र स्थल है । यह देश-विदेश से यात्री मन्नत माँगने एवं पुण्य लाभ कमाने आते हैं ।पोकरण परमाणु परीक्षण स्थल से मात्र 13 कि.मी. की दुरी पर स्थित यह पवित्र स्थल हिन्दू, मुस्लिम सभी के लिए श्रद्धा केन्द्र है । इसके आलावा सभी हिन्दू-मुस्लिम लोग यहाँ आकर पुण्य कमाते हैं । हिन्दुओं में यह बाबा रामदेव के नाम से पूजे जाते हैं तो मुसलमानों में बाबा रामशाह पीर के नाम से पूजे जाते हैं ।
वि.सं. संवत् 1442 को रामदेव जी ने जीवित समाधी ली । बाबा ने जिस स्थान पर समाधी ली, उस स्थान पर बीकानेर के राजा गंगासिंह ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया इस मंदिर में बाबा की समाधी के अलावा उनके परिवार वालो की समाधियाँ भी स्थित है । मंदिर परिसर में बाबा की मुंहबोली बहिन डाली बाई की समाधी, डालीबाई का कंगन एवं राम झरोखा भी स्थित हैं ।
बाबा रामदेव जी ने जब समाधि ली तो समाधि लेने से पहले आम जन समुदाय को उन्होंने एक समुदाय संदेश दिया वह संदेश इस प्रकार है-
महे तो चाल्या म्हारे गाँव, थां सगळा ने राम राम |
जग में चमके थारों नाम, करज्यों चोखा चोखा काम ||
ऊँचो ना निंचो कोई, सरखो सगळा में लोही |
कुण बामण ने कुण चमार, सगळा में वो ही करतार ||
के हिन्दू के मुसळमान, एक बराबर सब इंशान |
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, भजता रहिज्यों सुबह शाम ||
म्हे तो चाल्या म्हारे गाँव, थां सगळा ने राम राम |
थां सगळा ने राम राम ||
