

श्री शैल मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग Sri Sailam Mallikarjuna Jyotirlinga
मल्लिकार्जुन भगवान शिव को समर्पित एक ज्योतिर्लिंग है जो कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दूसरे नंबर का ज्योतिर्लिंग है| जो की भगवान शिव को समर्पित दूसरा ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में श्री शैलम में अवस्थित है-
प्रिय दर्शकों मल्लिकार्जुन के प्रादुर्भाव का प्रसंग का वर्णन प्रस्तुत है www.121holyindia.in पर |
मित्रो! सनातन धर्म में मान्यता है कि भगवान शिव के दूसरे ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन के प्रादुर्भाव की महिमा कथा सुनकर बुद्धिमान पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाते हैं|
आओ आपको बताते है भगवान शिव के दूसरे ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन के प्रादुर्भाव की महिमा कथा-
शिव पुराण के अनुसार जब महाबली शिवा पुत्र कुमार कार्तिकेय संपूर्ण सृष्टि की परिक्रमा करके पुनः कैलाश पर्वत पर आए और भगवान श्री गणेश के विवाह आदि की बात सुनते है और भगवान् गणेश को विजयी होते देख वे इस बात से सहमत नहीं होते है | क्योकि वे ही सर्वप्रथम सृष्टी की परिक्रमा करते है जबकि भगवान् गणेश तो कैलाश से जाते ही नहीं है और अपने माता पिता की परिक्रमा कर ही इस प्रतियोगिता को जीत लेते है |और वे अपने भाई गणेश से इर्ष्या कर बैठते है बाद में महाबली कार्तिकेय को अपने पिता महादेव की शिक्षा दीक्षा का स्मरण हो जाता है| तब उन्हें इस बात का वास्तविक आभास हो जाता है की यथार्त में तो श्री भगवान् गणेश ही इस प्रतियोगिता में विजयी हुए है और यही सत्य एवं उचित है| तब कार्तिकेय को भगवान् गणेश के प्रति अपने दुर्व्यवहार के लिए आत्म ग्लानी होती है | फिर वो अपनी आत्मग्लानी के पश्च्याताप हेतु क्रौंच पर्वत पर चले जाते है, उसके बाद माता पार्वती और शिव जी के वहां जाकर अनुरोध करने पर भी कार्तिकेय भगवान वापस नहीं लौटे और वहां से भी 12 कोस की दूरी पर आगे चले गए और वहा तप में लीन हो जाते है इसके कारण भगवान शिव और माता पार्वती ज्योतिर्मय स्वरूप धारण करके वहां प्रतिष्ठित हो जाते हैं|
देवादि-देव महादेव शिव और माता पार्वती, पुत्र स्नेह से आतुर होकर अपने पुत्र कुमार कार्तिकेय को देखने के लिए उनके पास जाया करते हैं अमावस्या के दिन भगवान शंकर स्वयं वहां जाते हैं और पूर्णमासी के दिन माता पार्वती जी निश्चय ही वहां पदार्पण करते हैं|
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण भारत में कैलाश की संज्ञा दी जाती है| इस ज्योतिर्लिंग की सबसे विशेष बात यह है कि यह एक ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों का संगम है
उसी दिन से लेकर आज तक भगवान शिव का मल्लिकार्जुन नामक एक लिंग तीनों लोकों में प्रसिद्ध हुआ| (उसमें माता पार्वती और शिव दोनों की ज्योतिया प्रतिष्ठित है “मल्लिका” का अर्थ माता पार्वती जी से हैं और अर्जुन शब्द “शिव” का वाचक है) | उस लिंग का जो दर्शन करता है वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और संपूर्ण अभीष्ट को प्राप्त कर लेता है इसमें कोई संशय नहीं है| इस प्रकार मल्लिकार्जुन नामक द्वितीय ज्योतिर्लिंग का 121holyindia.in पर वर्णन किया गया जो दर्शन मात्र से लोगों के लिए सब प्रकार का सुख देने वाला बताया गया है |
मंदिर के खुले रहने का समय –
मंदिर सुबह 5:30 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक खुला रहता है
महाशिवरात्रि के दिन यहां विशेष पर्व बड़े उत्साह उमंग से वह हर्ष उल्लास से मनाया जाता है
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग केसे पहुचे
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तीर्थ पर पहुंचने के लिए हम हमारी यात्रा को सर्वप्रथम हमारे निवास स्थान से हैदराबाद तक तय करेंगे और हैदराबाद पहुंचने के बाद 327 किलोमीटर की यात्रा को हम तय करके मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुंच सकते हैं
उत्तर भारत से कोई भी दर्शनार्थी यदि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु जाना चाहता है तो उसे सर्वप्रथम हैदराबाद तक की यात्रा तय करनी होगी उसके पश्चात वह हैदराबाद से बस एवं टैक्सी की सर्विस लेकर के श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तीर्थ धाम तक पहुंच सकता है जिसके लिए 327 किलोमीटर की यात्रा तय करनी होती है