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THE HOLY TOUR & TRAVEL OF TEMPLES IN INDIA

Tag: #tilinga Temple #Shiv Temple in asam #Shankar Mandir #shiv temple in tinsukia

Bell Temple, Tilinga Mandir, Tinsukia, Asam (India)

Posted on July 22, 2021July 22, 2021 By Pradeep Sharma

भगवान शिव का ऐसा मंदिर जहां हजारो की संख्या में बंधी घंटिया आकर्षण का मुख्य केंद्र है |

प्यारे दर्शको एवं पाठको 121holyindia.in में एक और नए तीर्थ की मानस यात्रा में आगे बढ़ने से पहले मैं आप सभी का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ की आप सभी मेरे youtube चैनल मानस यात्रा से जुड़े और मेरे साथ विभिन्न तीर्थो की मानस यात्रा में मेरे सहभागी बने | मैं हृदय की गहराइयो से आप सभी शुक्र गुजार हूँ |

आज हम जिस तीर्थ की 121holyindia.in के माध्यम से जिस नये तीर्थ की यात्रा करने जा रहे है वह भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर जिसे आप और हम सभी तिलिंगा मंदिर तिनसुकिया के नाम से जानते है। इस मंदिर की खास बात यह है की इसके चारो ओर हजारो की संख्या में छोटी और बड़ी सभी तरह की अलग अलग घंटिया बंधी हुई है इसी कारण से इस मंदिर को, बेल टेंपल भी कहा जाता है। यह घंटिया अगल-अलग आकार की हैं और अलग-अलग धातु जैसे कॉपर, कांसा, एल्यूमिनियम और पीतल की बनी होती हैं। ये घंटियां बरगद के पेड़ की शाखाओं पर बंधी हुई हैं।

यह मंदिर भारत के आसाम प्रांत के तिनसुकिया शहर से लगभग 7 किमी दूर,  बोरदुबी गाँव  में स्थित है | तिलिंग मंदिर के परिसर में बंधी हजारों घंटियों की झनझनाहट व् घंटियों की आवाज से   से एक अदभुदत मनोरम्य संगीत का निर्माण स्वत ही बन जाता है। जो यहाँ के दर्शनार्थियों के आकर्षण की मुख्य वजह है| शहर की हलचल से दूर, ब्रह्मपुत्र के उत्तरी तट की ओर हरे-भरे चाय बागानों के लंबे हिस्सों के बीच मंदिर एक शांत वातावरण का निर्माण करता है। तिलिंग मंदिर का शाब्दिक अर्थ घंटी मंदिर है। अपने शांतिपूर्ण परिवेश और इससे जुड़ी मजबूत धार्मिक मान्यताओं के कारण, यह मंदिर एक अत्यंत लोकप्रिय स्थान है जो लोगों की भीड़ अर्थात दर्शनार्थियों व् पर्यटकों को आकर्षित करता है।

घंटियों के ढेर के साथ, तिलिंग मंदिर विभिन्न आकारों और प्रकारों की सबसे बड़ी संख्या में घंटियों की मेजबानी करने का रिकॉर्ड रखता है। मंदिर के इतिहास और निर्माण की कहानी का पता वर्ष 1965  से लगाया जा सकता है,  जब पास के ही चाय बागानों के श्रमिकों ने एक बरगद के पेड़ के पास जमीन से एक शिव लिंग निकलते देखा था। तब उन सभी ने इसके चारों ओर एक मंदिर परिसर बनाने का फैसला किया, जिसे अंततः तिलिंग मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। आप और हम सभी जानते है की सामान्य रूप से मंदिर का निर्माण पहले होता है फिर उसमे भगवान् की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया जाता है किन्तु यह भगवान् पहले ही प्रतिष्ठित थे और मंदिर का निर्माण बाद में हुआ | यह मंदिर भगवान् शिव का स्वयं भू मंदिर है, जहा भगवान् स्वत ही भूगर्भ के बहार आये है|

तिलिंग मंदिर की यात्रा दर्शनीय स्थलों के कई अन्य विकल्पों के साथ की जा सकती है। दर्शनार्थियो व् पर्यटकों के द्वारा तिलिंग मंदिर की यात्रा के दौरान,  कोई रुक्मिणी द्वीप,  देहिंग पटकाई वन्यजीव अभयारण्य,  लखीपाथर,  ऐथान आदि की यात्रा करना पसंद किया जाता है। कुछ दर्शनार्थियो व् पर्यटकों के द्वारा आसपास के चाय बागानों में घूमना भी पसंद किया जाता है ताकि उनकी आंखों को हरी-भरी हरियाली का आनंद और लुफ्त मिले।

यहाँ पहुचने के लिए रेलमार्ग के माध्यम से निकटतम रेलवे स्टेशन: तिनसुकिया रेलवे स्टेशन का प्रयोग किया जा सकता है और हवाई मार्ग से यात्रा करने के लिए निकटतम हवाई अड्डा: मोहनबाड़ी हवाई अड्डा, डिब्रूगढ़ का उपयोग लिया जा सकता है|

आशा करता हूँ आप सभी को हमारी यह मानस यात्रा पसंद आयी होगी | आप सभी भक्तजनों को भगवान् शिव को समर्पित श्रावन मास की हार्दिक शुभकामनाये और खूब खूब अभिनन्दन|

ईश्वर श्री भोलेनाथ भोले शंकर हम सभी का कल्याण करे|

जय श्री भोले बाबा की |

मंदिर

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