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The Complete Story of Taliban (Afganistan)

Posted on August 16, 2021August 16, 2021 By Pradeep Sharma

तालिबान के उदय की सम्पूर्ण कहानी

तालिबान क्या है ?

तालिबान को तालेबान भी कहा जा सकता है | यह एक आन्दोलन है जो की सुन्नी इस्लामिक विचारधारा को सपोर्ट करता है | सन 1994 लगभग के आसपास इस विचारधारा को जिसे तालिबान के नाम से जाना जाता है, को बढ़ावा मिलने लगा | पश्तो भाषा में तालिबान शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी, या विद्यार्थी या छात्र भी कह सकते है | इस संगठन को पाकिस्तान, सऊदी अरब, और संयुक्त अरब अमीरात के द्वारा मान्यता मिल रखी है |

आज अफगानिस्तान में जो भी अफरा तफरी फैली है उसका एकमात्र कारण है तालिबान | जी हां दोस्तों तालिबान | अब आप सभी के मन में यह सवाल घर रहा होगा की जिस तालिबान के कारण अफगानिस्तान में मानवता शर्मसार हो रही है आखिर इसका उदय केसे हुआ ?The Complete Story of Taliban (Afganistan)

केसे इस संगठन (तालिबान) को जन्म मिला है ? आओ जानते है —–

तालिबान का उदय केसे हुआ ?

तालिबान की सुरुआत करीब करीब सन 1990 के आसपास बताई जा सकती है | ये वो समय था जब सोवियत संघ रूस की सेना अफगानिस्तान को छोडकर वापस लोट रही थी | उसी समय में एक कबीलाई जाती है जिसका नाम है पश्तून वो अपनी जडे मजबूत कर रही थी या आप एसा बोल सकते है की पश्तून जाती के नाम पर तालिबान अपनी जड़े जमा रहा था |

1996 तक आते आते प्राय तालिबान सम्पूर्ण अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा चूका था | लेकिन 2001 तक आते आते तालिबान और नाटो की सेना के बिच युध्द सुरु हो गया | इस युद्ध में तालिबान की अल कायदा ने भरपूर मदद भी की |

इस युद्ध का मकसद था की जल्द से जल्द पुरे अफगानिस्तान से तालिबान को खदेड़ कर यह लोकतंत्र स्थापित करना | और यहाँ के इस्लामिक चरमपंथियों को खत्म करना | इस युद्ध का वेसे मुख्य कारण 2001 में अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुवा हमला ही था |जिसका मुख्य अभियुक अल कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन था |

इस हमले के बाद यूनाइटेड स्टेट अमेरिका ने तालिबान सरकार से ओसामा बिन लादेन की मांग की पर तालिबान ने यह कहते हुए अमेरिका की इस जायज मांग को ठुकरा दिया की पहले अमेरिका इस बात का सबूत पेश करे की वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर जो हमला हुआ है उसमे ओसामा बिन लादेन है |The Complete Story of Taliban (Afganistan)

उस समय यूनाइटेड अमेरिका के राष्ट्रपति जोर्ज विलियम बुश थे | फिर क्या था इस बात से खिन्न अमेरिका युद्ध का ऐलान कर देता है वही अमरीकी राष्ट्रपति जोर्ज विलियम बुश अमेरिका की संसद जिसे कांग्रेस हॉल कहते है वहा अपने भाषण में कहते है की अब यह युद्ध तब तक ख़त्म नहीं होगा तब तक की पकिस्तान और अफगानिस्तान में से पूरी तरह से इस्लामिक कट्टरवाद और आतंकवाद खत्म नही हो जाता | फिर अन्ततोगत्वा तालिबान का पूर्ण खात्मा भी हुआ | फिर वहा नयी सरकार (अफगानिस्तान की सरकार ) का निर्माण हुआ |The Complete Story of Taliban (Afganistan)

लेकिन दोस्तों कुत्ते की दूम कहा सीधी होती है ?

साल 2004 के बाद से ये संगठन फिर से अपनी गतिविधिया सुरु करता है अबकी बार ये अपना काम काज दक्षिणी अफगानिस्तान और पश्चिमी पकिस्तान से करता है –The Complete Story of Taliban (Afganistan)

फरवरी 2009 में यह संगठन पकिस्तान की सरकार से एक समझोता करता है कि ये लोगो को नहीं मारेंगे और शरियत के मुताबिक काम करेंगे |

तालिबान पश्तून लोगो से अस्तित्व में आया था और इस संगठन ने पश्तून लोगो को अपने विश्वाश में ले लिया था और उन्हें यकींन दिलाया की उनकी सरकार बनती है तो इस्लाम के शरिया कानून को लागू करेंगे |

फिर क्या था समय बीतता गया तालिबान की जड़ मजबूत और मजबूत होती चली गयी –

इसी तालिबान के शासन में महिलाओं पर कई तरह से पाबंदिया लग गयी –

  • शरिया कानून के मुताबिक तालिबान ने अफगान पुरुषों के लिए दाढ़ी बढ़ाने और महिलाओं को बुर्का पहनने का फरमान जारी किया था।The Complete Story of Taliban (Afganistan)
  • टीवी, संगीत, सिनेमा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। दस साल की उम्र के बाद लड़कियों का स्कूल जाना मना था।
  • 1996 में सत्ता में आने के बाद तालिबान ने लिंग के आधार पर सख्त कानून बनाए। इन कानूनों ने महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।
  • अफगान महिलाओं को काम करने की अनुमति नहीं थी।
  • लड़कियों के लिए सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के दरवाजे बंद कर दिए गए।
  • एक महिला का बहिष्कार तब किया जाता है जब वह पुरुष रिश्तेदार के बिना घर छोड़ती है।
  • पुरुष चिकित्सक द्वारा चेकअप के लिए महिला व बालिका का बहिष्कार किया जाएगा। इसके साथ ही महिलाओं के नर्स और डॉक्टर बनने पर रोक लगा दी गई थी।
  • तालिबान के किसी भी आदेश का उल्लंघन करने पर महिलाओं को बेरहमी से पीटा और मार डाला जाएगा।

दोस्तों ये तो था तालिबान का पिछले दो या तिन दशको (1990-2021) तक का चिठ्ठा | पर यह यह जानना जरुरी है की सन 1990 के आसपास तालिबान वापस पश्तूनो के सहारे क्यों लौटा ? और पश्तूनो ने क्यों तालिबान का सपोर्ट किया ?

ये पश्तून कोन है ? इन पश्तूनो ने तालिबान को सहारा क्यों दिया ?

तो चलिए आप और हम इसे भी इतिहास के पन्नो में टटोलते है –The Complete Story of Taliban (Afganistan)

दोस्तों यह बात करीब करीब 1978 की है | जब सोवियत संघ रूस ने अपनी एक विशाल सेना अफगानिस्तान में उतार दी थी | अफगानिस्तान मैं अपनी जबरदस्त सैन्य क्षमता के बलबूते पर अफगानिस्तान के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था | किंतु सोवियत संघ रूस की प्रतिद्वंदी सेना यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका ने पाकिस्तान का सहारा लेकर एक संगठन का निर्माण किया | जिसे तालिबान नाम का संगठन कहा गया क्योंकि यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका सोवियत संघ रूस की सेना को अफगानिस्तान में खदेड़ना चाहता था | किंतु अमेरिका सीधे सीधे तौर पर सोवियत संघ रूस से युद्ध नहीं करना चाहता था | इसलिए अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद ली और पाकिस्तान जो कि आप अच्छे से परिचित है कि यह एक आतंकवाद की फैक्ट्री है | पाकिस्तान वह देश है जो आतंकवाद को पैदा करता है और आतंकवाद का निर्यात करता है | तो इस आतंकवाद का सबसे बड़ा आयातक और पहला आयातक देश अमेरिका था | अमेरिका ने पाकिस्तान से आतंकवाद को आयात करके अफगानिस्तान में सोवियत संघ रूस के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल किया इसे तालिबानी संगठन में पाकिस्तानी सेना के कई अधिकारी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को जिहादी शिक्षा देकर भर्ती किया गया था | इन सभी को एक ही उद्देश्य दिया गया था | कि आपको सोवियत सेना से लड़ना है | अफगानिस्तान युद्ध भूमि है और अफगानिस्तान में सोवियत सेना से लड़ते रहना है तालिबान जैसे आक्रामक संगठन को मदद के लिए अरब के कई अमीर देश भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सामने आए सोवियत हमले को अफगानिस्तान पर हमले की जगह इस्लाम पर हमले जैसा माहौल बना दिया गया | और मुस्लिम देशों के लोग सोवियत सेनाओं से लोहा लेने अफगानिस्तान पहुंच गए अमेरिका के द्वारा उपलब्ध कराए गए हथियारों से सोवियत सेना को बहुत बड़ा नुकसान हुआ और आर्थिक स्थिति बिगड़ने के कारण सोवियत सेना ने निर्णय किया कि अब हम यहां से वापस जाएंगे, और सोवियत सेना ने अपनी सेना को वापस रवानगी की | सोवियत सेना की इस हार के कारण अफगानिस्तान में तालिबान, अलकायदा और ओसामा बिन लादेन इत्यादि आतंकवादियों को बड़ा हौसला मिला युद्ध के कारण अफगानिस्तान में तत्कालीन सरकार गिर गइ और दोबारा चुनाव किए जाते लेकिन तालिबान ने देश की सत्ता अपने हाथ में लेकर पूरे देश में इस्लामिक धार्मिक कानून शरिया कानून लागू कर दिया | जिसका समर्थन सऊदी अरब ने भी किया |

फिर क्या था अफगानिस्तान में तालिबान का शासन चल पडा और तालिबान ही इस देश की सरकार बन गयी |

सोवियत संघ रूस की सेना के अफगानिस्तान छोड़ते ही पीछे से अफगानिस्तान को पूरी तरह से तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया | तालिबान जो कि एक ऐसा संगठन था जिसमें पश्तून कबीलाई के लोग भी शामिल थे और यह वही लोग थे जिनको यूनाइटेड स्टेट अमेरिका के द्वारा आगे भेजा गया था और यूनाइटेड स्टेट अमेरिका ही व्यक्तिगत रूप से चाहता था कि सोवियत संघ रूस को पीछे खदेडा जाए | सोवियत संघ रूस को पीछे खदेड़ने के लिए पश्तूनो का सहारा लेकर अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबान को सहारा दिया | आगे चल कर यही आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान में अपनी हुकूमत कायम करता है | और शरीयत के हिसाब से यहां कानून लागू करता है | मानवता को शर्मसार करते हुए, मानवता को कुचलते हुए, शासन चलाया जाता है |The Complete Story of Taliban (Afganistan)

तालिबान ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पश्चिमी इलाकों में वादा किया था कि वह सत्ता में आएंगे तो निश्चित ही शांति और सुरक्षा के साथ में शरिया कानून लागू करेंगे | और इस्लामिक शरिया कानून को लागू करने के वादे के साथ कुछ ही समय के भीतर तालिबान के लोगों ने शरिया कानून लागू कर दिया | बाद में वहां के लोगों के लिए यह शरिया कानून सिरदर्द साबित हुआ | महिलाओं का शोषण होने लगा, दमन होने लगा, और महिलाएं प्रताड़ित होने लगी, सजा देने के कई डरावने तरीकों के कारण अफगानी समाज में इसका विरोध भी होने लगा साथ ही कई ऐसी पाबंदियां लगा दी गई-

तालिबान ने शरिया कानून के अनुसार पुरुषों के लिए कानून बनाया कि सबको बढ़ी हुई दाढ़ी रखनी पड़ेगी, सभी महिलाओं को आदेश दे दिया गया कि बिना बुर्के के वह घर से नहीं निकल सकती और बिना किसी पुरुष रिश्तेदार के साथ वह अकेली बाजार में नहीं जा सकती और साथ ही साथ तालिबान में टीवी, म्यूजिक, सिनेमा, आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया और यहां तक प्रतिबंध लगा दिया कि कोई भी महिला किसी पुरुष डॉक्टर के द्वारा चेकअप नहीं करवा सकती और कोई भी महिला स्वयं नर्स या डॉक्टर का काम नहीं कर सकती | इन तमाम मानवता को कुचलने वाले कानूनों के कारण तालिबान का चेहरा साफ हो गया | और लोगों को समझ में आ गया कि तालिबान कौन सा और किस प्रकार का संगठन है |

जब सोवियत संघ रूस की सेना ने अफगानिस्तान की जमीन को छोड़ दिया था | और यू-एस अमेरिका ने तालिबान जैसे संगठन की स्थापना कर दी थी | तो तालिबान जैसे संगठन को सपोर्ट करने के लिए अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन भी सामने आए थे | और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के सहयोग से ही तालिबान जैसी संस्था ने संपूर्ण तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना कब्जा किया | समय बीतने के बाद एक समय ऐसा आता है जब 11 सितंबर 2001 को मंगलवार की सुबह के दिन कैलिफोर्निया जाने वाले चार व्यापारिक एयरलाइंस जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका से तीन अलग-अलग हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी उसे अलकायदा के 19 आतंकवादियों ने उड़ान के बीच ही अपहरण कर लिया और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन और वाईट हाउस पर हमले कर दिएThe Complete Story of Taliban (Afganistan)

आप सभी को बता दें कि यह हमले 11 सितंबर 2001 को जो कि आज से करीब करीब 19 साल पहले हुए थे जिसमें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पेंटागन और अमेरिका की राजधानी वाइट हाउस भवन को उड़ाने का तालिबान का अपराध शामिल है जिसमें एयरक्राफ्ट को हाईजैक करके और वहां सुसाइड अटैक किया गया, मास मर्डर किया गया और इस्लामिक टेररिज्म किया गया जिसमें 2996 लोग मारे गए और 25000 लोगों के करीब करीब जख्मी हुए जिसकी जिम्मेदारी ओसामा बिन लादेन ले ली जो कि अलकायदा आतंकवादी संगठन का सरगना था

यह अल कायदा आतंकवादी संगठन वही संगठन है जिसने तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन को जमने फलने और फुलने में मदद की थी |The Complete Story of Taliban (Afganistan)

इसी कारण ही अमेरिका ने निर्णय लिया और तय किया की अफगानिस्तान और पकिस्तान की सर-जमीन पर पनप रहे आतंकवाद को मिटाना होगा | अमेरिका ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को माँगा पर तालिबान ने अमेरिका की इस मांग को ठुकरा दिया |

उस समय यूनाइटेड अमेरिका के राष्ट्रपति जोर्ज विलियम बुश थे | फिर क्या था इस बात से खिन्न अमेरिका युद्ध का ऐलान कर देता है वही राष्ट्रपति जोर्ज विलियम बुश अमेरिका की संसद जिसे कांग्रेस हॉल कहते है वहा अपने भाषण में कहते है की अब यह युद्ध तब तक ख़त्म नहीं होगा तब तक की पकिस्तान और अफगानिस्तान में से पूरी तरह से इस्लामिक कट्टरवाद और आतंकवाद खत्म नही हो जाता | और फिर अन्ततोगत्वा तालिबान का पूर्ण खात्मा भी हुआ | फिर वहा नयी सरकार (अफगानिस्तान की सरकार ) का निर्माण हुआ |

एक समय के बाद अमेरिका की सेना भी अफगानिस्तान से लौट गयी लेकिन इस देश ने जो झेला वो भला कोई केसे समझ सकता है |

यह मानवता सर्मसार हुई – महिलाओं का दमन हुआ – धर्म के नाम पर नर संहार हुआ –

दंड के वीभत्स तरीके अपनाये गए –The Complete Story of Taliban (Afganistan)

फ़रवरी 2009 से आज तक वापस यही तालिबान अपने को कायम करने में लगा हुआ था जिसकी भरपूर मदद मुश्लिम राष्ट्रों से मिल रही थी साथ ही साथ पकिस्तान के माध्यम से आतिबान को पोषण मिलने लगा –

और आज वो काला दिन है जब –The Complete Story of Taliban (Afganistan)

काबुल में तबाही का मंजर है उड़ते फ्लाइट के पहियों पर लटके तीन लोग गिर रहे हैं | काबुल में शांति बड़ी तनावपूर्ण सी नजर आ रही है | हर व्यक्ति अपने घर में दुबका हुआ है | तालिबान ने प्रमुख चौराहों पर लड़ाके तैनात कर दिए गए हैं आज संपूर्ण अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा कायम हो चुका है | यह आम जनता के लिए और मानवता के लिए रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर है | हर आदमी काबुल छोड़कर किसी अन्य देश में जाना चाहता है |The Complete Story of Taliban (Afganistan)

तालिबान ने कई सौ अपराधियों को जेल से रिहा कर दिया | आम जनता में डर और अराजकता का माहौल है | आम जनता को तालिबान के क्रूर शासन के वापस आने की आशंका सता रही है | बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे काबूल पर भीड़ जमा हो गई है | अफगानिस्तान का हर व्यक्ति देश छोड़कर किसी अन्य देश में जाना चाहता है |The Complete Story of Taliban (Afganistan)

अफगानिस्तान के वर्तमान हालातों को देखकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस बात का समर्थन करते हुए दिखाई पड़ते हैं | कहते हैं कि तालिबान के द्वारा अफगानिस्तान पर जो कब्जा किया गया है इससे अफगानिस्तान ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ा है —–

बीज बोये बबूल का तो आम कहा से होये —

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